बाड़मेर में श्मशान जाकर भी नहीं मिलती जाति के बंधन से मुक्ति

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बाड़मेर में मरने के बाद भी जाति के बंधन से मुक्ति नहीं मिलती. यहां आदमी का अंतिम संस्कार भी उसकी जाति व समाज के श्मशान घाट में ही होता है. शहर में स्थित सार्वजनिक श्मशान में हर जाति के लिए अलग-अलग बोर्ड लगे हुए हैं और जातीय आधार पर अंतिम संस्कार भी किया जाता है. इतना ही नहीं कहने को तो ये नगर परिषद की ओर से संचालित बाड़मेर का सार्वजनिक श्मशान घाट है लेकिन यहां विभिन्न जातियों के अपने-अपने चबूतरे और प्रोल हैं. इसके अलावा विभिन्न जातियों के नाम के बोर्ड ब्लॉक बनाकर लिखे गए हैं. जिनमे ब्राह्मण गौड़, स्वर्णकार, जांगिड़ व जाट समाज सहित कई समाज के नाम के साथ अलग-अलग बोर्ड लगे हुए है. राजस्थान उच्च न्यायालय ने मोक्षधामों को जाति मुक्त रखने के आदेश दे रखे हैं लेकिन नगर परिषद की और से कोई प्रयास नहींं किए जा रहे हैं. इस संबंध में नगर परिषद आयुक्त अनिल झिंगोनिया से बात की तो उन्होंने कैमरे के सामने बोलने से इनकार कर दिया.

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